...is "Celebrating (un)Common Creativity!" Fan fiction, artworks, extreme genres & smashing the formal "Fourth wall"...Join the revolution!!! - Mohit Trendster

Tuesday, January 19, 2016

भूत स्वैग - लेखक मोहित शर्मा ज़हन #mohitness

Holi festival 2014 Pic
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टीनएजर भूतों के एक ग्रुप के लड़के एक दूसरे पर शेखी बघार रहे थे। 

भोलू भूत - "भाई एक बार मैं इंद्र देव की मूर्ति के बगल से निकल चुका हूँ।" 

भक भूत - "चल बे! इतने में ही बस ..मै तो शिवजी भोलेनाथ की प्रतिमा के सामने से गया हूँ।" 

पीछे से आवाज़ - "बस-बस! लिपरीडिंग की थी तब तेरी सबने! कांपते हुए शंकर जी के सामने नर्वसनेस में जय संतोषी माता निकल रहा था तेरे मुंह से। वो तो बाइचांस की बात है कि भोलेबाबा ने तुझे माफ़ कर दिया होगा।"

थोड़ा झेंपने और ध्यान बंटने के बाद फिर डिस्कशन चालू।

भोलू भूत - "यार तू भरी सुबह में क्यों निकलता है। कोई तांत्रिक पकड़ ले, कुछ उंच नीच हो जाए तो क्या इज़्ज़त रह जायेगी तेरी फैमिली की?"

भक भूत - "अबे भाई-यार भक बे! तुम डरपोक सुबह साढ़े तीन बजे निकल लेते हो, हम साढ़े 6 से पहले वापस नहीं जाते, अपनी शान में रहते है।" 

पीछे से आवाज़ -  "....और तभी रोशनी से झुलस कर फ्राइड मोमोज़ हुए फिरते हो।" 

भक भूत ने मण्डली के हंसने से पहले ही नया दावा किया - "मेरे सुबह घूमने की आदत की वजह से...बाय चांस मुझे देख कर एक बार एक अंकल जी को हार्ट अटैक आ गया और वो मर गए।"

पीछे से आवाज़ - "वो उन्हें पहले से ही अटैक पड़ा था, तू तो बस क्रेडिट लेने कूद पड़ा उनके सामने उनके मरने के बाद।" 

भक भूत - "अरे! ये कौन है पीछे से अफवाहें फैला रहा है? अब एक हीरो शान्ति से अपने किस्से भी नहीं सुना सकता !!"

पीछे की आवाज़ का मालिक आगे आया - "मै वही अंकल जी का भूत हूँ, जिसकी नेचुरल डेथ का क्रेडिट तू अपनी दहशत के नाम चढ़ा रहा था। आजा मेरी नन्ही परी...कुछ छड़ी खा ले....तेरे अंदर का स्वैग निकालू।"

समाप्त!

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Monday, January 4, 2016

साइकोलॉजी के मम्मी-पापा (#mohit_trendster)


दुनिया ऐसे लोगो से (साइकोलॉजी के मम्मी-पापाओं) भरी पड़ी है जो अपने छींट भर अनुभव के आधार पर स्वयं को मनोविज्ञान के और दूसरो का मन पढ़ने वाले  महाज्ञाता समझने का भ्रम रखते है। इसका कारण है कि जिन कुछ लोगो से उनका नियमित मिलना-रहना होता है उनकी आदतों, उनके इतिहास अनुसार ये जो सोचते है वो अक्सर सही निकलता है। पर जब कोई अनजान व्यक्ति इनके सामने आता है तो उसकी कुछ बातों को जानकर ही ये छद्म मनोविज्ञानी अपने निष्कर्ष का पर्चा काट देते है। कई बेचारे इन जजमेंट्स की भेंट रोज़ाना चढ़ते होंगे। अपनी सुविधानुसार, जटिल बात को सरल मान लेते है और आसान बात को कठिन।

अब एक कलाकार ने अपनी चुनिंदा कलाकृतियों के साथ बिल्डिंग से कूदकर जान दे दी। स्थानीय, देसी-विदेशी मीडिया इस कहानी से आकर्षित होकर उसकी उन कलाकृतियों, घर एवम अन्य रचनाओ में कोड ढूंढने लगी उसकी आत्महत्या का, एक्सपर्ट्स व्यूज़, कांस्पीरेसी थ्योरीज़ और ना जाने कितने विश्लेषण। मरने से पहले उसके मन में कोड तो बस यही था बरसो से एक "स्थानीय" कलाकार को दुनियाभर में अपनी कला पहुंचानी थी। 

वहीँ शहर के हिंसक माहौल का हवाला देकर पुलिस, मीडिया और जनता कभी एक सीरियल किलर को पहचान ही नहीं पाये। गधे! वो किलर भी फ्रस्टेट हो गया होगा कि क्या मनहूस जगह चुनी!

#mohitness #mohit_trendster #trendybaba