...is "Celebrating (un)Common Creativity!" Fan fiction, artworks, extreme genres & smashing the formal "Fourth wall"...Join the revolution!!! - Mohit Trendster

Thursday, April 23, 2015

New Kavya Comic


Meri Aazadi ka Ruab exclusively at Fenil Comics website and social media pages. by yours truly, Yash (Harish Atharv) Thakur, Soumendra Majumder, Ajay Thapa and Manabendra Majumder.

Wednesday, April 8, 2015

लघुकथा - दहेज़ डील (मोहित शर्मा ज़हन)

लघु कथा - "दहेज़ डील" (from 'Bonsai Kathayen' collection) 

कसबे का लड़का लग गया मोबाईल टावर लगाने और उसकी मरम्मत करने वाली कंपनी मे। तनख्वाह भी अच्छी और घर से भी ठीक-ठाक। कसबे कि जवान लडकियाँ (जो उसकी जाति की थी) उनके माँ-बाप के लिए वो लड़का सोने की खान था। ऐसे ही एक आशावान माँ-बाप अपना भाग्य आजमाने लड़के के घर पहुँचे।

कसबे भर मे लगातार मिल रहे मुफ्त के सम्मान से लड़के के परिवार के भाव बढ़ गए थे।

लड़के की माँ - "हम्म ...लड़की तो सुन्दर है पर दहेज़ का क्या रहेगा?"

लड़की के पिता - " ....जी! बारहवी के बाद कम्पूटर कोरस भी किया है, ढाई हज़ार कमा रही है स्कूल मे। सारे काम कर लेती है। वो शादी अच्छे से करेंगे ...और .."

लड़के के पिता - " ....हाँ जी! पर दहेज़ का भी तो बताइए ..."

लड़की की माँ - "जी ...देने को तो ज्यादा कुछ नहीं है. ..पर .."

लड़के की माँ -" फिर तो जी मुश्किल है ..."

लड़की के पिता - "वकील साहब स्टेशन के पास ज़मीन है थोड़ी और थोड़े घर के पास कुछ खेत है।"

लड़के के माता-पिता ज़मीन सुनकर खुश हो गए।

"तो आप ज़मीन दोगे बेटी के साथ ...."

लड़की के पिता - "नहीं जी, आप बेटे जी से कह कर 2-3 टावर लगवा दो मोबाइल वाले हमारी ज़मीन और खेतो मे। उनके जो हर महीने 20-22 हज़ार आयेंगे वो आप लोगो के ..."

- मोहित शर्मा (ज़हन) ‪#‎mohitness‬ ‪#‎mohit_trendster‬

Wednesday, April 1, 2015

सपनो की एक्सपायरी डेट - मोहित शर्मा (ज़हन)


अपने सपनो के लिए जगदोजहद, मेहनत करते लोगो को देखना प्रेरणादायक होता है। एक ऐसा आकर्षण जिसकी वजह से हम फिल्मो, टीवी सीरियल्स से बंधे रहते है, उनके किरदारों में अपने जीवन को देखते है, ऐसा आकर्षण जिसके कारण कठिन समय में हम खुद को दिलासा देते है कि यह सब झेलने के बाद, यह वक़्त गुजरने के बाद हमे अपना सपना मिल जायेगा या उस से दूरी और कम हो जायेगी। कुछ ख्वाबो का महत्व इतना होता है कि उनके पूरे या ना पूरे होने पर जीवन की दिशा बदल जाती है, जबकि कुछ सपने बस किसी तरह अपनी जगह आपके ज़हन में बना लेते है - बाहर से देखने पर यह सपने बचकाने लगते है पर फिर भी अक्सर यह आपको परेशान करते है। 

व्यक्ति की आयु, परिस्थिति अनुसार सपने बदलते है, नए सपने इतने बड़े हो जाते है जो किसी उम्र के अधूरे-पुराने सपनो के आड़े आकर धुँधला कर देते है। मैंने कहीं सुना था कि सपनो को साकार करने का कोई समय नहीं होता जब साधन, भाग्य साथ हों तब उन्हें पूरा कर उनका आनंद लीजिए। पर जीवन तमाम चुनौतियाँ, उबड़-खाबड़ रास्ते लेकर आता है जिसके चलते निरंतर कुछ न कुछ सोचता दिमाग उन बिन्दुओं से काफी आगे बढ़ चुका होता है।  

अपना ही उदाहरण देता हूँ। मुझे बचपन से ही प्लेन में बैठने बड़ी इच्छा थी पर समस्या यह थी कि उस समय लगभग सभी करीबी रिश्तेदार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के सीमावर्ती शहरों में रहते थे जहाँ 100 से 600 किलोमीटर्स के दायरे में होने के कारण अगर कोई आपात्कालीन स्थिति ना हो तो वैसे शादी आदि समाहरोह में पहुँचने के लिए साधनो में एरोप्लेन से पहले वरीयता ट्रैन, बसों को मिलती है। ऊपर से मध्यमवर्गीय परिवार तो 90 के दशक में टीवी पर ही प्लेन देखकर खुश हो लेता था। (अब घरेलु यात्रा हवाई टिकटों के दामो में काफी कमी आयी है खासकर पहले बुक करने पर, कभी-कभी तो बहुत लम्बी दूरी की हवाई यात्रा ट्रैन यात्रा से सस्ती पड़ती है) तो स्थिति यह रही कि बचपन से किशोरावस्था आई, जिसमे हवाई यात्रा की प्रबल इच्छा बनी रही पर कभी ऐसा मौका नहीं बना। वर्तमान में जहाँ सक्रीय हूँ यानी मेरठ, दिल्ली इनकी दूरी 70-75 किलोमीटर्स है और अब तक प्लेन में नहीं "घूमा"। 

पर अब वो सपना मर गया है, इच्छा कहीं गुम हो गयी जैसे उसकी एक्सपायरी डेट निकल गयी हो। किसी समय एक बच्चे की जो सबसे बड़ी विश होती थी जिसके लिए वो भगवान जी से प्रार्थना करता था, आज उसके पूरे होने ना होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। उल्टा चिढ होती है, बेवजह गुस्सा आता है इस ख्वाईश के कभी याद आने पर। अब अगर कभी हवाईजहाज़ में बैठने का अवसर मिलेगा तो मन किसी प्रौढ़ उधेड़बुन में लगा होगा, रूखी आँखों में उस बच्चे या किशोर की चंचलता नहीं होगी जो अक्सर सपनो में प्लेन में बैठकर दुनियाभर की सैर कर आता था। 

कुछ सपनो का पूरा होना आपके हाथ में होता है और कुछ का भाग्य पर निर्भर। अपने बस में जो बातें हो उन्हें प्रगाढ़ता से पूरा करें ताकि इच्छाएँ मरने या बदलने से पहले....सपनो की एक्सपायरी डेट से पहले वो पूरे हो जायें।  :) 

 - मोहित शर्मा (ज़हन)
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