...is "Celebrating (un)Common Creativity!" Fan fiction, artworks, extreme genres & smashing the formal "Fourth wall"...Join the revolution!!! - Mohit Trendster

Saturday, June 28, 2014

बहरूपिये का बाप बहरूपिया! - मोहित शर्मा (ज़हन)



"बहरूपिये का काम बड़ा मुश्किल होता है भैया! न पैसा बनता है और प्रधान से लेकर ननकऊ लौंडे तक मज़ाक बना के चले जाते है। 

बस यूँ काम आया मेरा हुनर, पिता जी का देहांत हो गया और किसी ने दफ्तर खबर कर दी तो पेंशन रुक गयी। घर में तंगी.... तब डरता-डरता मजबूरी में मैं पिता जी बन कर कसबे गया की आज राजा राम जी या तो तार डालें या मार डालें। प्रधान जी की मदद से सब ठीक-ठाक हो गया और पेंशन वापस चालू हुई। 

एक मलाल रहता था हमेशा की मेरी वजह से माँ को कभी ख़ुशी नहीं मिली, सुख-सुविधाएँ तो दूर की कौड़ी थी। माँ भी अब मरणासन थी, खून की उल्टियाँ करती माँ को मैं सब कुछ गिरवी रख शहर के अस्पताल लाया जहाँ पता चला की बहुत देर हो चुकी है और अब माँ कुछ दिन ही और जी पायेंगी। 'वह' दिन भी आया...उनकी आँखों में दिख रहा था की आज वो दिन है... साथ में उनकी आँखों में मुझे कुछ और भी दिखा, एक निवेदन, माँ-बेटे की उस भाषा में जो कोई तीसरा नहीं समझ सकता। 

इस बार मुझे डर था की कहीं ये निवेदन उनकी आँखों में ही न रह जाये। 

मैं उनके इष्ट देव भोले शंकर का रूप धर उनके सामने आया। माँ के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उन्होंने मुझे नमन किया। आज पहली बार जैसे इस बहरूपिये की कला को माँ का आशीर्वाद मिला हो। फिर तो जैसे मुझमे साक्षात कोई दिव्य शक्ति आ गयी, मैं एक के बाद एक रूप बदलने लगा, कर्मचारियों और मरीजों की भीड़ गयी कमरे के बाहर। कभी राम जी, तो कभी गाँव के प्रधान जी, यूँ डाकिया तो झट से थानेदार…जाने कितने रूप बदले मैंने। मुझे उनका निवेदन याद था बस मैं टाल रहा था क्योकि मुझे डर था की वह बात पूरी होते ही शायद आज का यह बहरूपिये का खेल ख़त्म हो जाये। 

माँ बिना शिकायत इत्मीनान से मेरे सभी रूप देखती रहीं, जब मेरा हर स्वांग ख़त्म हो गया तो भरे मन से मैंने अपना आखरी स्वांग धरा। मैंने अपने ही पिता जी का रूप धरा और किसी तरह अपना रुदन दबाकर कमरे में घुसा। उनके चेहरे पर तेज आ गया और वो अपनी बची-खुची शक्ति जुटाकर मेरे पैरों  में पड़ गयी। मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं छोटे बच्चे की तरह विलाप करने लगा, माँ से लिपटकर रोने लगा। जब पकड़ ढीली हुयी तो लगा की उनका शरीर शिथिल पद चुका है और उनके चेहरे पर शान्ति है। माँ को भी पता था की मुझसे उनकी प्रार्थना समझने में कोई भूल नहीं हुयी है। 

समाप्त! 

- मोहित शर्मा (ज़हन)

Notes

*) - Won 'Manthan Competition' jointly organized by Kalamputra Magazine (Hapur), Amar Bharti Paper and Bhavdiye Prabhat - Meerut, U.P. (pics update soon).

*) - Prince Ayush working on a short video on this concept.

Monday, June 2, 2014

मोहित शर्मा (ज़हन) - May 2014 Logs & Info

May 2014 Logs - Mohit Sharma Trendster

I spent 2 weeks away from everything in a colorful town Mursan (Hathras) near the Holy city of Mathura. Then back to work. 


Published in National Daily "Janwani" (10 May 2014)


WIP for a children educational book with artist Mr. Prince Ayush.


International Freelance Talents Championship 2013 winner Mr. Kapil Chandak featured in Tata Magazine circulated in 89 countries. Awesome feeling as an organizer. :)



Finally, another cover article for Roobaru Duniya (May 2014) where I included my friend Mr. Shiva ji Aryan also. :)

मोहित शर्मा (ज़हन)